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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

मोरनियां

मोरनियाँ

मोर के रंगों को धारण कर,
मोरनियां बन जाती हैं चोरनियां
चोरनियां...........दिल चोरनियां

कैसे हो जाती हैं

दिल-चोरनियां..........मोरनियां ?

– मटमैली एकदम सादी-सी मोरनियां
होती हैं साधारण

मैंने

पहले भी कहा था
सुंदर नहीं होती हैं मोरनियां
फिर भी ... किस क़दर दिल चोरनियां !

के रंगों में धीरे-धीरे
रिम-झिम, रिम-झिम सराबोर हो जाना – आद्यंत – सरापा
उनकी नीली-हरी गरदनों की लचक में
झूम-झूम झूमना


रिम-झिम, रिम-झिम ......टे हें ओ ..... टे हें ओ ......
यही तो है, मोर के रंगों को धारण करना !

मोर –पाखी आँखों में झिल-मिल....झिल-मिल...मिलना
झिप-झिप झिप-झिप......
चुप-चुप …… …… चुप-चुप


बनती है चोरनियां........ये मोरनियां
मयूर-रंग में पगी.......... ये मोरनियां .....

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